विकसित भारत के लिए एकता महत्वपूर्ण, अंतर्राष्ट्रीय समुदायों से ले सीख।

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विविधता के रंगों से सजे भारत की यही तो विशेषता रही है कि हर भारतीय के व्यक्तित्व में किसी एक अथवा अधिक सामाजिक विषय को लेकर संवेदना देखी जा सकती है...

बागपत। भारत अपनी स्वर्णिम आजादी के 75 वर्ष का जश्न मना चुका है वहीं अब देश को नई संसद की सौगात मिलना भी गर्व की बात है। लेकिन हमें विकसित भारत के लक्ष्य को इन उपलब्धियों के बीच नही भूलना चाहिए और देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य इंडिया @2047 में सहभागी बनने के अवसरों पर चर्चा करनी चाहिए। विषय पर चिंतन करते हुए एक अनूठा विचार मेरे मस्तिष्क में कौंधा कि एक झलक में हम सभी भारतीयों में समाज सेवा और परस्पर सहयोग की भावना अंतर्निहित है जिसको हम समाज में देख भी पाते है।

विविधता के रंगों से सजे भारत की यही तो विशेषता रही है कि हर भारतीय के व्यक्तित्व में किसी एक अथवा अधिक सामाजिक विषय को लेकर संवेदना देखी जा सकती है और विषय के संबंध में लोगों के स्वतंत्र प्रयास भी देखे जा सकते है जो व्यक्तिगत परंतु अनूठे होते है। यही स्थिति सामाजिक संगठनों में भी देखने को मिलती है। किसी एक मुद्दे विशेष को लेकर एक शहर में सैकड़ों संस्थाएं और बड़े शहर में तो इससे भी ज्यादा संस्थाएं पंजीकृत होती है लेकिन उनके प्रयास असंगठित होते है जो अनूठे बोले जा सकते है लेकिन उनका सामाजिक प्रभाव न्यूनतम होता है। 

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विकसित भारत के स्वप्न साकार में जो महत्वपूर्ण एवं अनदेखी कड़ी है वो है एकता और सहकार्यता की। यह एकता का मूल्य हमें वैश्विक स्तर पर निर्धारित सतत विकास लक्ष्यों में भी देखने को मिलता है जिसमें 17वां लक्ष्य पार्टनरशिप फॉर द गोल्स निर्धारित किया गया जो कोई लक्ष्य न होकर एक मूल्य हैं जिसको सतत विकास लक्ष्यों को पाने के लिए अभ्यास में लाया जा रहा है।

एकता के मूल्य को हर स्थान और प्रासंगिकता में व्यवहार में लाया जा सकता हैं। परिवार में सभी सदस्यों द्वारा एकता के साथ सबसे निर्बल व्यक्ति के विकास और आत्मविश्वास बढ़ाने को कार्य करने से लेकर समाज/समुदाय में मूलभूत सुविधाओं से वंचित लोगों के लिए मदद का हाथ बढ़ाने तक, स्कूल में क्लासरूम के सबसे डरे सहमे विद्यार्थी के उत्साहवर्धन के लिए शिक्षक एवं सहपाठियों के साथ मिलकर कार्य करने से लेकर कार्यक्षेत्र में सहकर्मी को मदद पड़ने पर तकनीकी अथवा अन्य सहयोग करने तक एकता की भावना को मजबूती दी जा सकती है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर लालकिले के प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हुए पंच प्राण का सिद्धांत दिया जिसमें एकता भी एक महत्वपूर्ण घटक है।

एकता की भावना को मजबूत करने के लिए नीति आयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जिसके अंतर्गत एनजीओ दर्पण पोर्टल पर पंजीकृत क्षेत्र विशेष के समस्त एनजीओ को उनकी श्रेणी संबंधित एक लक्ष्य निर्धारित कर मिलकर कार्य करने के लिए बोला जा सकता है जिसके आधार पर ही उनके एनजीओ दर्पण पोर्टल पंजीकरण का नवीनीकरण किए जाने का सिस्टम प्रभावी किया जा सकता है।

वहीं स्कूलों के साथ मिलकर कार्य कर रहा फिट इंडिया अभियान भी स्कूलों में आपसी सहयोग की भावना को मजबूती दे सकता है जिसके लिए फिट इंडिया को चाहिए कि स्कूलों द्वारा अन्य स्कूलों के साथ मिलकर खेल को बढ़ावा देने पर विशेष प्रोत्साहन दिया जाए। आधार कार्ड प्रणाली की सफलता को देखते हुए इसी में एक सिटीजन स्कोर सिस्टम भी लागू किया जा सकता है जिसके आधार पर सरकार के विभिन्न कार्यक्रम एवं योजनाओं में सक्रिय प्रतिभागियों को निर्धारित सिटीजन स्कोर प्रदान कर उनको विकास में प्रतिभाग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें अंतर्राष्ट्रीय समुदायों से सीखने की आवश्यकता है। विश्व भर में कई देशों ने अपनी विकास योजनाओं में एकता और सहकार्यता को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। वे समुदायों के बीच सहयोग, विचार-विमर्श और तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान करके अपने विकास के मार्ग में आगे बढ़ रहे हैं। यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण उपाय साबित हुआ है।

लेखक डॉ० अमन कुमार के बारे में:

20 वर्षीय डॉ० अमन कुमार वर्तमान में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से समाज कार्य में स्नातक की शिक्षा ग्रहण कर रहे है। नेहरू युवा केंद्र बागपत से संबद्ध ग्रामीण युवाओं की संस्था उड़ान युवा मंडल ट्यौढी की अध्यक्षता करते हुए अमन कुमार द्वारा विभिन्न कीर्तिमान स्थापित किए गए जिसमें 18 माह में प्रोजेक्ट कॉन्टेस्ट 360 के अंतर्गत 7 मिलियन लोगों तक शैक्षिक अवसरों की जानकारी पहचाना उल्लेखनीय है। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया की एबाइड यूनिवर्सिटी ने उनको तकनीकी नवाचार से सामाजिक बदलाव के लिए डॉक्टरेट ऑफ फिलोसॉफी की मानद उपाधि से विभूषित किया।

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